






प्रणाम माताश्री,आपकी याद बहुत आती है…..! आपके बिना तीज त्यौहार सब फीके..😭😭
(नारायण उपाध्याय)
हर बड़े त्यौहार पर हमारे घर में एक अलग ही रौनक होती थी। जिसमें होली का त्यौहार तो सबसे ख़ास तरीके से सेलिब्रेट किया जाता था। परिवार बड़ा होने के कारण तीन भाई अलग और दो माताश्री और पिताजी के साथ रहते थे, लेकिन त्यौहार पर सभी पुश्तैनी घर पर इक्क्ठा होते थे, और हमारी माताश्री (किसनी देवी) हमें अपने हाथों से खाना परोसती थी। बीती होली पर भी सभी पांचो भाईयों को माताश्री ने बड़े ही चाव से अपने हाथों से खाना खिलाया था। कई सालों बाद पिछली होली पर हमने हमारे घर में होली ख़ास अंदाज में खेली थी, बकायदा म्यूजिक का पूरा सेट लगाया गया। जिसमें हमने अपनी दो भांजीयों (छोटी बहिन) व पांचो भाईयों के पुरे परिवार ने ग़ुलाल की होली खेली। सभी ने पंजाबी व राजस्थानी गीतों पर खूब डांस भी किया। उस पल एकबार भी नहीं सोचा था कि अगली होली पर माताश्री के हाथों का खाना हमें नसीब नहीं होगा और ना ही माँ के संग ये खुशियाँ मिलेगी ।
माताश्री का वो दुलार और वो मीठी डांट आज भी कानों में गूंज रही है। लेकिन होनी को कौन टाल सकता है….। बीते वर्ष जून माह की 3 तारीख को मेरी आदरणीया देवी स्वरूपा माताश्री हम सब परिजनों को छोड़ कर देवलोक पधार गई। उन्होंने जिंदगी भर कभी किसी के प्रति ना द्वेषभाव रखा और ना ही किसी को बुरा-भला कहा।
परिवार में हम पांच भाई और दो बहिनों सहित कुल सात संतान थी, लेकिन में हमेशा अपनी माँ को माताश्री कहकर सम्बोधित करता था। दोनों बहिनों सुमित्रा दीदी व मांगी दीदी की शादी के बाद में घर में सबसे बड़ा बेटा था। में हमेशा अपनी माताश्री के साथ घर के कार्यों में हाथ बंटाता था, जिसमें घर की साफ-सफाई, कपड़े धोना और बर्तन धोने के काम में मदद करता था। मेरी हमेशा ये आकांक्षा रहती थी कि मेरे रहते मेरी माताश्री को कोई परेशानी ना आए। मेरी माताश्री का मेरे प्रति इतना लगाव था कि अक्सर हर दूसरे दिन में माताश्री के पास एक बार जाया करता था। फिर कभी में किसी कारणवश अगर जा नहीं पाता तो उनका कॉल आ जाता कि नारायण आज आयो कोनी..!
सच कहूं, माताश्री के जाने के बाद हमारा परिवार बिखर सा गया है। सोचा नहीं था इतनी जल्दी दुःखो का बड़ा पहाड़ हमारे परिवार पर टूट पड़ेगा। सबसे बड़ी बात ये थी कि जिस दिन (3 जून 2024) को माताश्री का देवलोक गमन हुआ, उससे पहले 2 जून की रात 9 बजे को माताश्री ने बातों ही बातों में मानो इस धरती लोक से विदा होने का संकेत मुझे दें दिया था। उस रात माताश्री की कही बात आज भी तीखे शब्दों में गूंज रही है। इससे पहले एक बात बताना चाहता हूं कि किसी घर में कोई शोक होने पर में बारह दिनों तक उस घर में भोजन नहीं करता था। इस बात को लेकर उस रात मेरी माताश्री ने कहा कि कल यानि 3 जून को हमें अपने रिश्तेदार के यंहा शोक जताने जाना है । तो उसी चर्चा के बीच माताश्री ने मुझसे कहा कि “कल तेरी माँ इस दुनियां में नहीं रहेगी तो बेटा तू कंहा भोजन करेगा” और ठीक अगले दिन मेरी प्यारी माताश्री हमें छोड़ कर देवलोक सिधार गई।शायद ईश्वर ने मेरी माँ के मुंह से मुझे अहसास करवाना चाहा था कि नारायण कल (3 जून 2024) तेरी माँ का आखिरी दिन है।
माताश्री के देवलोक गमन के बाद आज 13 मार्च 2025 को पहली होली आई है, लेकिन सब सुना- सुना है। माताश्री की याद को लेकर दिलो-दिमाग में एक अजीब सी बैचेनी है, पर ईश्वर की मर्जी के आगे चाहकर भी कुछ कर नहीं सकते। प्रणाम माताश्री आपकी याद बहुत आती है….. 😭😭।

