






अनाज मंडियो की हड़ताल; बारिश और ओलावृष्टि ने बचाई संघ और सरकार की साख!
बीकानेर, दैनिक खबरां (नारायण उपाध्याय)। राजस्थान खाद्य व्यापार संघ द्वारा प्रदेश की 247 अनाज मंडियो में हड़ताल सातवें दिन शनिवार को आख़िरकार टूट गई। जंहा इस हड़ताल को आगामी 23 मार्च तक स्थगित कर दिया गया। विभिन्न मांगो को लेकर व्यापारियों और सरकार के बीच चल रहा गतिरोध मात्र एक आश्वासन के बाद खत्म हो गया। कृषि विपणन निदेशक ने अगले सप्ताह मुख्यमंत्री की व्यापारियों के साथ बैठक और मांगो को लेकर 23 मार्च तक का समय माँगा है। गौरतलब है, सरकार का हड़ताल को लेकर रवैया शुरू से ही ढुलमूल वाला रहा। जंहा संघ द्वारा शुरू में चार दिनों की हड़ताल की घोषणा की गई। सोचा,सरकार व्यापारियों की मांगो पर विचार करेगी और हड़ताल समाप्ति को लेकर सकारात्मक पहल करेगी। लेकिन राज्य सरकार की तरफ से कंही से कोई बात ना बनती देख हड़ताल को 2 मार्च तक बढ़ा दिया गया। हड़ताल की समय सीमा समाप्त होने से पहले शनिवार 1 मार्च को जयपुर में संघ द्वारा एक हाई लेवल मीटिंग बुलाई गई। जिसमें हड़ताल को लेकर आगामी रणनीति बनाकर सरकार को घेरने की तैयारी की गई। लेकिन इससे पहले शुक्रवार को प्रदेश में कई जगहों पर तूफान और ओलावृष्टि हो गई। ऐसे में दोनों पक्ष (सरकार व व्यापारियों) ने किसानो की हितो की रक्षा की बात रखते हुए कहा कि ओलावृष्टि से किसानो की फ़सल खराब हो रही है। किसानो की फसलों के लिए मंडियो के दरवाज़े हमेशा खुल्ले रहेंगे। ऐसे में हड़ताल को आगामी 23 मार्च तक स्थगित कर दिया गया। संघ ने कहा कि उनकी मांग पर सरकार ने 23 मार्च तक कोई समाधान नहीं किया तो वे आगे फिर से रणनीति बनाकर हड़ताल करने पर मजबूर होंगे। वैसे भी मार्च के अंतिम सप्ताह में वित्तीय वर्ष कलोजिंग से जुड़े काम होते है। ऐसे में व्यापारीगण एक बार फिर से इस (23 मार्च) अंतिम सप्ताह का सदुपयोग कर सकते है। यंहा ध्यान देने योग्य बात यह है कि एक तरफ सरकार इस हड़ताल को टालने के लिए रास्ता खोज रही थी तो दूसरी तरफ राजस्थान खाद्य व्यापार संघ पर उसके संबंधित इकाइयों की तरफ से हड़ताल को समाप्ति के लिए दबाव बन रहा था, क्योंकि आटा, दाल व तेल मिलो के बंद होने से भुजिया पापड़, रसगुल्ला व नमकीन उद्योग पर उसका बड़ा असर होने लगा था। बता दें, भुजिया पापड़, रसगुल्ला व नमकीन उद्योग में देश में बीकानेर का सबसे बड़ा नाम है। वंही होली का त्यौहार भी सर माथे है। प्रोडक्शन कम होने से त्योंहारी डिमांड पूरी करने में खासी परेशानी देखने को मिल रही थी। इन उद्योगों से जुड़े एक उद्यमी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि हड़ताल ऐसे समय में की गई जिसमें शादियों के सावे थे। जिसके चलते मंडियो में सुस्ती रहती,लेकिन हड़ताल इतनी लम्बी चलेगी ऐसा किसी ने सोचा नहीं था। अब इसको समाप्ति करने के लिए कौन पहल करें। सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। लेकिन इस बीच शुक्रवार को तूफान और ओलावृष्टि ने इस हड़ताल के टूटने के संकेत दे दिए। सरकार ने भी समझदारी दिखाते हुए किसानो की भलाई दिखाने की बात कहकर दो मंत्रियों को वार्ता करने संघ (व्यापारियों) के पास भेजा। फिर क्या था संघ भी इस गतिरोध को एकबार समाप्त करना चाहता था,क्योंकि उसके अधीनस्थ इकाईयों में अंदर ही अंदर टकराव पैदा होने की आशंका हो गई थी। सरकार और संघ में हुई वार्ता में सरकार की और से आश्वासन मिलने पर हड़ताल को आगामी 23 मार्च तक टाल दिया गया। अंदर खाने की बात यह है कि व्यापारियों का एक धड़ा कह रहा है कि कुल मिलाकर यह हड़ताल व्यापारिओं को काफी कुछ सीख देकर गई है।

